यारी

यारी



तेरी यारी कुछ अलग पढ़ी भारी
सारी कि सारी
कम करदी बीमारी
जीना जो भूल गये थे
हाथ थाम भगादी तूने
सारी कि सारी
दिक़्क़तें हमारी
तेरी यारी कुछ अलग पढ़ी भारी ।


थोड़ी सी करारी
ज़्यादा घोटाले वाली
बिना पैसे दिए मोमोस खाने वाली
बाप के बटुए से चुप चाप यारी पे खर्चने वाली
तेरे दुःख अपने करने वाली
तेरे बाप की डाँट अपनी मानने वाली
तेरी यारी कुछ अलग पढ़ी भारी ।


मेरी ख्वाहिशें तेरी बनाने वाली
मुझे में बनाने वाली
मेरे गाने और मूवीज़
हमारी होने वाली
आधी रात की चाए और टका टक वाली
मेरे रोने वाली
मेरी हस्ते हस्ते आँखें भरने वाली
तेरी यारी कुछ अलग पढ़ी भारी ।



कुछ अधूरे सपने बस
तुमको देखके पूरा करलेती हूँ
खोए दोस्तों की यादें ताज़ा करलेती हूँ
ख़ुशी है तुम्हारे पास वो है
जो कभी हाथ ना लगा
Scooty या लाइब्रेरी के चक्कर
काटने घर के नीचे ना आ खढ़ा
एक आवाज़ में दरवाज़ा ना खटखटआए खढ़ा
या बिना पूछे मेरे फ़्रिज से मेरा खाना खाए
मुझे आँखें घुराऐ ना खढ़ा
अफ़सोस है मुझे
मेरे हाथ कभी कुछ
भारी ना पढ़ा।


तुमहे देख मुझे ख़ुशी होती है
इसे हमेशा जोढ़े रखना
नसीब वाले हो तुम ।
तुम्हारी यारी मेरी ज़ुबानी


-संजीवनी शर्मा


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